Source By TNN Local
जम्मू कश्मीर,कठुआ को पोल्ट्री व श्रीनगर को मीट क्लस्टर बनाने की तैयारी, 150 करोड़ होंगे खर्च
समग्र कृषि विकास योजना (एचएडीपी) के तहत श्रीनगर और कठुआ में मीट व पोल्ट्री क्लस्टर के प्रस्तावित विभिन्न वर्टिकल के लिए कार्यान्वयन एजेंसियों के चयन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। एक जिला, एक उत्पाद योजना के तहत कठुआ को पोल्ट्री और श्रीनगर को मीट क्लस्टर बनाने की तैयारी है। दोनों जिलों में 75-75 करोड़ की परियोजना तैयार की जा रही है। प्रस्ताव के अनुसार छह माह में दोनों ही जिलों में इस परियोजना को अमलीजामा पहनाने पर काम शुरू हो जाएगा। समग्र कृषि विकास योजना (एचएडीपी) के तहत श्रीनगर और कठुआ में मीट व पोल्ट्री क्लस्टर के प्रस्तावित विभिन्न वर्टिकल के लिए कार्यान्वयन एजेंसियों के चयन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। जम्मू-कश्मीर बागवानी उत्पाद विपणन एवं प्रसंस्करण निगम (जेकेएचपीएमसी) लिमिटेड ने इस प्रक्रिया को तीन हिस्सों उत्पादन से पहले और उत्पादन प्रक्रिया, उत्पादन के बाद प्रबंधन और मूल्य संवर्धन और ढुलाई, विपणन और ब्रांडिंग में बांटा है। आवेदक एजेंसी को अलग अलग हिस्सों व एक साथ पूरी परियोजना में काम करने की छूट रहेगी।
परियोजना से जुड़े अधिकारी मोहसिन अली ने बताया कि आवेदक को सरकार 33 फीसदी सब्सिडी देगी। 33 फीसदी निवेश आवेदक करेगा, जबकि 33 फीसदी लोन लिया जा सकता है। आवेदक के रूप में हाईटेक एजेंसी और काम का अनुभव होना जरूरी है। एजेंसी को डीपीआर से बताना होगा कि परियोजना को विकसित करने के लिए उनकी क्या योजना रहेगी।
प्रदेश में सालाना 1273 करोड़ पोल्ट्री उत्पाद, 30 हजार मीट्रिक टन मीट का आयात
जम्मू-कश्मीर में मई, 2024 में 19 लाख 92 हजार से ज्यादा के मुर्गे-मुर्गियां, जबकि 23 लाख 95 हजार से ज्यादा अंड़ों का आयात हुआ। एक दिन के लगभग 21 लाख चूजे भी आयात हुए। वर्ष 2023 में 1273 करोड़ के पोल्ट्री उत्पाद आयात किए गए। लगभग 70 हजार मीट्रिक टन मीट की खपत करने वाले प्रदेश में आधा हिस्सा यानी 30 हजार एमटी प्रदेश के बाहर से आता है। पोल्ट्री और मीट का प्रदेश के बाहर से बड़े पैमाने पर हर महीने आयात किया जाता है। एचएपीडीपी के तहत सरकार का प्रयास जम्मू कश्मीर के किसानों को आत्मनिर्भर बनाना है। इससे प्रदेश की अर्थव्यवस्था मजबूत होने के साथ ही किसानों की आय भी बढ़ेगी।